रीमा हसन, यूरोपीय संसद सदस्य हैं और फिलस्तीनी मुद्दों पर खुलकर आवाज़ उठाती रही हैं, इसराइल में हिरासत में
रीमा हसन, जो यूरोपीय संसद की सदस्य हैं और फिलस्तीनी मुद्दों पर खुलकर आवाज़ उठाती रही हैं, इन दिनों इसराइल में हिरासत में

रीमा हसन, जो यूरोपीय संसद की सदस्य हैं और फिलस्तीनी मुद्दों पर खुलकर आवाज़ उठाती रही हैं, इन दिनों इसराइल में हिरासत में हैं। वजह ये है कि इसराइली हुकूमत चाहती थी कि वो निर्वासन (deportation) के कागज़ात पर दस्तख़त करें, यानी इसराइल छोड़कर अपने वतन लौट जाएं।
ग्रेटा थनबर्ग, जो पर्यावरण की जानी-मानी एक्टिविस्ट हैं, उन्होंने भी इसी तरह के हालात में मजबूरी में निर्वासन के कागज़ों पर साइन कर दिए, जिसके बाद उन्हें वापस भेज दिया गया।
लेकिन रीमा हसन ने इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि वो अन्याय के आगे नहीं झुकेंगी। इस इनकार की सज़ा के तौर पर इसराइल ने उन्हें डिटेंशन सेंटर (हिरासत केंद्र) भेज दिया है।
रीमा अकेली नहीं हैं। उनके साथ 7 और लोग भी हैं जिन्होंने निर्वासन के दस्तावेज़ों पर साइन करने से मना किया। अब ये सभी लोग डिटेंशन सेंटर में रखे जाएंगे।
इसराइल ऐसे लोगों को बर्दाश्त नहीं कर रहा जो खुलकर फिलस्तीन के लिए आवाज़ उठाते हैं, और जो ज़ुल्म के खिलाफ खड़े होते हैं।